Gourav Jaiswal says ..!!!
Wednesday, February 8, 2017
Thursday, October 20, 2016
Thursday, June 27, 2013
क्या तेरी याद थी ये...
क्या तेरी याद थी ये...
जो लड़खड़ा गयी सांस अचानक..
कुछ कपकपी सी आ गयी..
और सोच ग़ुम गयी कहीं..
तुझे सोचता हूँ तो सोच ग़ुम जाती है ,
कही खो जाती है यादों की भीड़ में..!!!
लोगों के चेहरों के बीच घुल जाती है भीड़ का फायेदा उठाकर,
और में ढूँढता रह जाता हूँ उसे तेरे हज़ारों चेहरों के बीच..!!!!
कोई कह गया तू है नहीं,
पर वक़्त अब भी है वहीँ,
तेरा ज़िक्र किया मैंने खुद से,
और सोच ग़ुम गयी कहीं...!!!!
Monday, August 6, 2012
ये सोचता हूँ जब तू नहीं थी
वक़्त तब भी इसी रफ़्तार से क्या भागता था.
बारिश की ये आवाज़ क्या तब नर्म थी यूँ ही जो अब है....
और रात भी क्या इतनी ही बेशर्म थी जो ये अब है....!!!
तेरी हसी हर वक़्त कानो के किसी कोने से टकराती है रहती,
तेरी बातें मदमस्त पानी की तरह स्वछंद बहती...
तेरा गुस्सा न जाने क्यों प्यारा सा लगता है मुझे अब ...
तेरा छूना तेरी मौजूदगी का भी नहीं मोहताज है अब ...
कुछ है जो पहले सा नहीं नाराज़ है अब...
कुछ तो अलग है, कुछ तो नया है
कुछ तो तेरे होने से जिंदा हो गया है...!!
Wednesday, March 21, 2012
Wo gaon tha..!!
सड़क किनारे झोपड़ियों के एक गुच्छे को, उन्होंने हमे गाँव बताया...!!!!
सड़क के गड्ढे,
बिजली के खम्बे,
घायल पुलिया,
टूटी नाली,
सूखा गोबर,
नंगा बच्चा,
रास्ता कच्चा,
फर्जी स्कूल,
बोर्ड पे धूल,
बस स्टैंड,
राजू बैंड,
लदा ट्रक्टर,
फिल्म पोस्टर,
बिस्कुट कड़ी,
शेर छाप बीडी,
पुराना हल,
बहता नल,
बांस की छतरी,
पान की टपरी,
बैलगाड़ी,
आंगनवाड़ी,
बस अरे बस नहीं "बस" ..!!!
बस इतना ही था वहां..
और कुछ तो था नहीं,
वो बोले की गाँव है.. और लोगों ने मान लिया .....!!!!!!!
Saturday, February 11, 2012
meri raat...!!!
मेरी रात की आवाज़ बहुत मीठी है,
और इसकी खुशबू में काला जादू है...!!!!
मेरी अपनी नींद से दुश्मनी करा रही है आजकल,
मुझे रोज़ पटा लेती है साली, बहुत चालु है ..!!!
रोज़ सुबह कसम खाता हूँ के आज नहीं मानूंगा,
कितना भी पटाए साली, आज नहीं हारूँगा..!!
लेकिन आसमान की गहराई है उसके अँधेरे में,
तभी तो रोज़ डुबा लेती है , छुपा लेती है , गुमा लेती है......
कमबख्त रोज़ आ जाती है ... फिर बैठी है मेरे तकिये से टिक कर ..........!!!!!!!!!!!!!!!
और इसकी खुशबू में काला जादू है...!!!!
मेरी अपनी नींद से दुश्मनी करा रही है आजकल,
मुझे रोज़ पटा लेती है साली, बहुत चालु है ..!!!
रोज़ सुबह कसम खाता हूँ के आज नहीं मानूंगा,
कितना भी पटाए साली, आज नहीं हारूँगा..!!
लेकिन आसमान की गहराई है उसके अँधेरे में,
तभी तो रोज़ डुबा लेती है , छुपा लेती है , गुमा लेती है......
कमबख्त रोज़ आ जाती है ... फिर बैठी है मेरे तकिये से टिक कर ..........!!!!!!!!!!!!!!!
Subscribe to:
Posts (Atom)