Saturday, January 28, 2012

दो-दो पंक्तियाँ

पिछले साल दिसम्बर में घटी कुछ राजनितिक घटनाओं पर दो-दो पंक्तियाँ लिखी थीं, शेयर कर रहा हूँ..!!
FDI पे बहेस:-
"हम उनसे अपनी मुफलिसी की दावा खरीदेंगे,
कल पानी खरीदा था .... कल हवा खरीदेंगे ..!!!"

इन्टरनेट सन्सोर्शिप की बात:-
जो मिल गयी है तुमको जम्हूरियत की जलेबी,
तो ये नहीं समझो की शहंशाह मर गए ..!!

६ दिसम्बर अयोध्या कांड की बरसी:-
मनुष्य हैं हम भी अपना वर्चस्व दिखायेंगे,
जिसने रचा सर्वस्व उसको घर दिलाएंगे !!

Wednesday, January 11, 2012

धुंद के बीच खड़े उस पेड़ ने मुझसे कुछ कहा था,

उसने मुझसे वक़्त रोक देने का वादा किया था'
लेकिन में लड़ रहा हूँ उस वादे से,
में लड़ रहा हूँ समय की चाल से,
में लड़ रहा हूँ हर उस ख्याल से,
जो पूछे थे उसने मुझसे, हर उस सवाल से !!!!

लेकिन वो सवाल रुक गए हैं,
और मुझे देख रहे हैं, खुद को दोहरा रहे हैं,
मेरे अन्दर समां रहे हैं
मुझ में रहने वाले "खुद" को दबा रहे हैं ....

इनका जवाब नहीं है मेरे पास
हाँ, लेकन वो पेड़ मेरा दोस्त है, दुश्मन नहीं ,
इसलिए वो मुझसे सवाल मांगता है , जवाब नहीं ..
कोई तर्क नहीं, वक़्त नहीं, रिश्ता नहीं, हिसाब नहीं ...!!!

न जाने उस धुंद के जादू ने क्या किया था,
और उस पेड़ ने मुझसे ये सब क्यों कहा था !!!!!!!!!!!!!!!